पिंकी पाठशाला पहुंची। टुक्की भी उसके पीछे पीछे चल रहा था। जैसे ही वे दोनों पाठशाला के गेट में दाखिल हुए तभी घंटी बजी। पिंकी क्लास में जाके अपनी जगह पर खड़ी होकर हाथ जोड़के प्रार्थना के लिए तैयार हुई । टुक्की को खड़े होने के लिए जगह बहुत कम पड़ा| वह ब्लैकबोर्ड के पास जा कर खड़ा होगया।
पिंकी उसे बाहर जाने के लिए इशारा कर ही रही थी की उसके विज्ञान के शिक्षक कक्षा में आयें । उन्होंने अपने साथ बहुत सारा फल लेकर आयें । प्रार्थना समाप्त होने के बाद शिक्षक ने कक्षा शुरू की। उन्होंने कहा, “सुप्रभात छात्रों, आज का पाठ फलों के बारे में है।” सभी विद्यार्थियों ने उन्हें सुप्रभात कहा और अपनी विज्ञान की नोटबुक निकाली ।
जैसे ही शिक्षक विज्ञान लिखने के लिए बोर्ड की ओर मुड़े, टुक्की ने अपनी सूंड से एक सेब उठाया और पिंकी की ओर फेंक दिया। पिंकी चौंक गई लेकिन उसने समय रहते सेब को पकड़ लिया। सभी बच्चों ने देखा कि टीचर की टेबल से एक सेब अपने आप उड़कर पिंकी की ओर आ गया।वे आपस में कुसरपुसर करने लगे।
“बात करना बंद करो,” शिक्षक ने कहा और कक्षा की ओर मुड़ें । पिंकी असमंजस में थी और उसे समझ नहीं आ रहा था कि क्या करे। उसने धीरे से सेब को अपनी मेज के नीचे से टुक्की की ओर भेजा और टुक्की ने उसे अपनी सूंड से शिक्षक की मेज की ओर घुमाया। अध्यापक ने सोचा कि सेब मेज से नीचे गिर गया होगा। उन्होंने उसे उठाया और वापस मेज पर रख दिया। पिंकी ने राहत की सांस ली।
पिंकी ने टुक्की को कक्षा से बाहर जाने का इशारा किया। अध्यापक ने उसे देखा और पूछा, “क्या कर रही हो पिंकी? इधर देखो और ध्यान लगाओ।” पिंकी ने माफ़ी मांगी और सोचने लगी कि टुक्की आगे क्या करेगा जिससे वह मुसीबत में पड़ जाएगी। अध्यापक ने एक अमरुद हाथ में लेके पूछा, “यह क्या है?” तब टुक्की ने अपनी सूंड शिक्षक की ओर घुमाई और उसके हाथ से फल लेने की कोशिश की। पिंकी घबराकर हाथ और सिर हिलाकर टुक्की को रोखने की कोशिश की।
अध्यापक ने उसे गुस्से से देखा और कहा, “यह क्या उटपटांग काम कर रही हो पिंकी। कशा से बाहर जाके कड़े हो जावो”। पिंकी बाहर निकली और टुक्की भी उसके पीछे नाचते हुए निकला।कक्षा में विध्यार्तीयों ने अध्यापक जी से कहा, “पिंकी जादू करति है। आपके मेज से फल सब उड़ रहे थे। और वह पिंकी के हाथ में आगये थे।”
“अच्छा? ऐसा किया?” कहते हुए अध्यापक जी ने पिंकी को अंदर बुलाया। पिंकी और टुक्की दोनों अंदर आये। अध्यापक जी ने कहा, “पिंकी अब मैं देख रहा हूँ। तुम जादू करके बताओ।” पिंकी थोड़ी देर चुप कड़ी रही। अध्यापक जी ने फिर कहा, “डरो मत पिंकी। कल हम बाल दिवस मनाने जा रहे हैं। और तुम हमें मंच पर अपने जादू के करतब दिखा सकते हो।”
तुरंत टुक्की एक अनार अपने सूंड से पिंकी के और फेंका। पिंकी ने उसे पकड़ कर एक तरबूज टुक्की के पास फेंकी। टुक्की उस तरबूज को अपने सूंड में लेकर तीन चक्कर लगाया। फिर उसे पिंकी के सिर पर रख दिया। पिंकी तीन चक्कर लगाके तरबूज को वापस मेज पर रख दिया। कक्षा के सभी विद्यार्थियों ने तालियाँ बजाईं।
टीचर ने पिंकी को बधाई दी और अगले दिन स्टेज पर अपनी प्रतिभा दिखाने को कहा। अगले दिन टुक्की और पिंकी ने बहुत सारे खेल दिखाए और पिंकी ने एक पुरस्कार भी पाया।