पिंकी ने अपनी मम्मी पप्पा से पूछा, “टुक्की कहा है?”
पप्पा ने पूछा, “टुक्की? कौन है टुक्की?”
पिंकी ने कहा, “मेरा दोस्त। छोटा हाथी ।”
यह कहते हुए पिंकी कमरे में ढूंढ़ने लगी।
मम्मी ने कहा, “हाथी कैसे घर में आ सकता है।”
पिंकी ने कहा, “यहीं तो हम नाच रहे ते।”
“देखो ऐसा ‘पिंकी टुक्की पिंकी टुक्की’ कर रह थे।”
पिंकी ने मम्मी को नाचके दिखाया।
पप्पा बोले, “क्या हो गया इसको।सुबह, सुबह ऐसा कर रही है।”
मम्मी ने सोचा, ज़रूर पिंकि ने कुछ सपना देखा होगा।
मम्मी ने पूछा,”पिंकी तुमने कुछ सपना देखा है?”
तब पिंकी को भी समाज आया की ऐ सब सपना था।
पिंकी ने कहा, “मम्मी मैं जाके वापस सो जाती हूँ। मुझे टुक्की से मिलना है।”
मम्मी हसकर बोली, “अभी तुम्हे स्कूल जाना है। वापस आके सो जाना।
पिंकी रोने लगी, “नहीं मम्मी, मैं स्कूल नहीं जावूँगी। मुझे टुक्की चाहिए।”
मम्मी पापा दोनों पिंकी को मनाने की कोशिश कर रहे थे।
लेकिन पिंकी नहीं मान रही थी।हठ कर रही थी।
तब उसके कान में एक आवाज़ आया। पिंकी रोना बंद करके उस आवाज़ को सुनी।
“पिंकी, मैं टुक्की हूँ। यहाँ देखो। मैं तुम्हारे साथ में ही हूँ। रोना बंद करो।”
तुरंत पिंकी चुप हो गयी। टुक्की , टुक्की, टुक्की करने लगी।
उसके मम्मी पापा ने पूछा, “कहाँ है टुक्की? हम तो नहीं देख पा रहें है।”
अरे मम्मी, पप्पा, यहाँ देखो। टुक्की यहाँ है, ” पिंकी बोली।
लेकिन मम्मी पापा को वहाँ कुछ भी नहीं नज़र आ रहा था।
टुक्की ने पिंकी के पास आके कहा, “मैं सिर्फ तुम्हे ही दिखूँगा पिंकी।”
“और अदृश्य हूँ, कोई और मुझे देख नहीं सकतें । यह हमारे बीच की बात है। किसीको नहीं कहना।”
ठीक है करके पिंकी ने सिर हिलाया। तब से पिंकी और अदृश्य टुक्की हमेशा साथ रहने लगे।